भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वाणी / विश्वनाथप्रसाद तिवारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विश्वनाथप्रसाद तिवारी |संग्रह=बेहतर दुनिया के…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:06, 12 जून 2011 के समय का अवतरण
बचपन के एक सदमे में
आवाज़ खो बैठी
वह लड़की
अब दरवाज़े-दरवाज़े माँग रही है
अपनी वाणी
बच्चे किलककर हँसते हैं
जब वह रोती है गूँगी ।