गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
योग-वियोग / गुलाब खंडेलवाल
No change in size
,
19:08, 15 जून 2011
४.
बोलना किसीसे, देख लेना किसी और को
हृदय
किसीका छें
किसीका छीन
, देना किसी और को
आपकी कला थी, किन्तु काल बनी प्राण की
नाव में बिठा के मुझे, खेना किसी और को
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits