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"सबसे आँखें तो चार करते हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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रुक न पाती गुलाब की ख़ुशबू
 
रुक न पाती गुलाब की ख़ुशबू
आड़ कांटें हज़ार करते हैं  
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आड़ काँटें हज़ार करते हैं  
 
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02:27, 25 जून 2011 का अवतरण


सबसे आँखें तो चार करते हैं
दिल में बस उनको प्यार करते हैं

वादा आने का कर गया था कोई
उम्र भर इंतज़ार करते हैं

हैं तो बुझते दिये मज़ार के हम
जिन्दगी का सिँगार करते हैं

कोई आये न आये, नाव को हम
है जिधर तेज धार, करते हैं

रुक न पाती गुलाब की ख़ुशबू
आड़ काँटें हज़ार करते हैं