भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नाम यों तो सभी के बाद आया / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडे…)
 
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
  
 
उनकी आँखों के रंग में है गुलाब  
 
उनकी आँखों के रंग में है गुलाब  
होके हर रंग से आजाद, आया
+
होके हर रंग से आज़ाद, आया
 
<poem>
 
<poem>

21:53, 25 जून 2011 का अवतरण


नाम यों तो सभी के बाद आया
उनको हरदम था मैं ही याद आया
 
आज मिल जायँ जिनको मिलना है
फिर यहाँ कौन इसके बाद आया!

कोई सीने से लगा चलते वक्त
रात ढलने लगी तो चाँद आया

उनकी आँखों के रंग में है गुलाब
होके हर रंग से आज़ाद, आया