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"आपने ज़िन्दगी न दी होती / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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हम न होते तो क्या कमी होती! | हम न होते तो क्या कमी होती! | ||
01:19, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
आपने ज़िन्दगी न दी होती
क्यों ये मरने की बेकली होती!
कोई दिल के क़रीब आता क्यों
दोस्ती दोस्ती रही होती!
हम भी आँखें बिछाए बैठे थे
एक नज़र इस तरफ भी की होती!
आप अपना ज़वाब थे ख़ुद ही
हम न होते तो क्या कमी होती!
याद करते गुलाब को जो आप
झुक के काँटों ने राह दी होती