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"कोई मंज़िल नयी हरदम है नज़र के आगे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | कोई | + | कोई मंज़िल नयी हरदम है नज़र के आगे |
एक दीवार खड़ी ही रही सर के आगे | एक दीवार खड़ी ही रही सर के आगे | ||
− | + | डाँड़ हम खूब चलाते हैं, मगर क्या कहिए! | |
नाव दो हाथ ही रहती है भँवर के आगे | नाव दो हाथ ही रहती है भँवर के आगे | ||
− | देखिये | + | देखिये ग़ौर से जितना भी हसीन उतना है |
− | एक जादू का | + | एक जादू का क़रिश्मा है नज़र के आगे |
यों तो चक्कर था सदा पाँव में दीवाने के | यों तो चक्कर था सदा पाँव में दीवाने के | ||
नींद क्या खूब है आयी तेरे दर के आगे | नींद क्या खूब है आयी तेरे दर के आगे | ||
− | जोर चलता नहीं | + | जोर चलता नहीं क़िस्मत की हवाओं पे, गुलाब! |
जैसे चलती नहीं तिनके की लहर के आगे | जैसे चलती नहीं तिनके की लहर के आगे | ||
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01:44, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
कोई मंज़िल नयी हरदम है नज़र के आगे
एक दीवार खड़ी ही रही सर के आगे
डाँड़ हम खूब चलाते हैं, मगर क्या कहिए!
नाव दो हाथ ही रहती है भँवर के आगे
देखिये ग़ौर से जितना भी हसीन उतना है
एक जादू का क़रिश्मा है नज़र के आगे
यों तो चक्कर था सदा पाँव में दीवाने के
नींद क्या खूब है आयी तेरे दर के आगे
जोर चलता नहीं क़िस्मत की हवाओं पे, गुलाब!
जैसे चलती नहीं तिनके की लहर के आगे