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"तुझसे लड़ जाय नज़र हमने ये कब चाहा था! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हो तेरी गोद में सर, हमने ये कब चाहा था!
 
हो तेरी गोद में सर, हमने ये कब चाहा था!
  
यों तो मंजिल पे पहुँचने की खुशी है, ऐ दोस्त!
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यों तो मंज़िल पे पहुँचने की खुशी है, ऐ दोस्त!
 
ख़त्म हो जाय सफ़र, हमने ये कब चाहा था!
 
ख़त्म हो जाय सफ़र, हमने ये कब चाहा था!
  

08:41, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


तुझसे लड़ जाय नज़र हमने ये कब चाहा था!
प्यार भी हो ये अगर, हमने ये कब चाहा था!

दोस्ती में गले मिलते थे हम कभी, लेकिन
हो तेरी गोद में सर, हमने ये कब चाहा था!

यों तो मंज़िल पे पहुँचने की खुशी है, ऐ दोस्त!
ख़त्म हो जाय सफ़र, हमने ये कब चाहा था!

तुझसे मिलने को लिया भेस था दीवाने का
उठके आया है शहर, हमने ये कब चाहा था!

जब कहा उनसे, 'मिटे आपकी चाहत में गुलाब'
हँसके बोले कि मगर हमने ये कब चाहा था!