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"वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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गालों पे है गुलाब के, दिल के लहू का रंग
 
गालों पे है गुलाब के, दिल के लहू का रंग
काँटों से जिन्दगी के निखारे हुए हैं हम
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काँटों से ज़िन्दगी के निखारे हुए हैं हम
 
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19:07, 2 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम
फिर भी कभी किसीके सँवारे हुए हैं हम

आशा की हर किरण को अँधेरों ने ढँक लिया
किन बेरहम घटाओं के मारे हुए हैं हम!

आता नहीं है भूलके कोई भी अब इधर
हर प्यार की नज़र से उतारे हुए हैं हम

अटकी हुई है आके पुतलियों में अब ये जान
आओ की अब तो भोर के तारे हुए हैं हम

गालों पे है गुलाब के, दिल के लहू का रंग
काँटों से ज़िन्दगी के निखारे हुए हैं हम