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"हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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हम आदमी को ही लेकिन बड़ा समझते हैं
 
हम आदमी को ही लेकिन बड़ा समझते हैं
  
चढा हुआ है सभी पर हमारे प्यार का रंग  
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चढ़ा हुआ है सभी पर हमारे प्यार का रंग  
 
कोई न इससे बड़ा कीमिया समझते हैं
 
कोई न इससे बड़ा कीमिया समझते हैं
  

19:18, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं
पता नहीं है कि हमको वे क्या समझते हैं
 
भला भले को, बुरे को बुरा समझते हैं
हम आदमी को ही लेकिन बड़ा समझते हैं

चढ़ा हुआ है सभी पर हमारे प्यार का रंग
कोई न इससे बड़ा कीमिया समझते हैं

समझ ने आपकी जाने समझ लिया है क्या!
ज़रा ये फिर से तो कहिये कि क्या समझते हैं

कोई जो सामने आता है मुस्कुराता हुआ
हम अपने मन का उसे आइना समझते हैं

किसी भी काम न आये, गुलाब! तुम, लेकिन
समझनेवाले तुम्हीं को बड़ा समझते हैं