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"यों तो अनजान लगता रहे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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21:56, 2 जुलाई 2011 का अवतरण
यों तो अनजान लगता रहे
प्यार उस दिल में जगता रहे
कैसा दुश्मन कि सर काट ले
और प्यारा भी लगता रहे!
हम तो मरते हैं इस झूठ पर
उम्र भर कोई ठगता रहे
ख़ून का ही हमारे क़सूर
हाथ क्यों उनके रंगता रहे
कोई आयेगा तड़के गुलाब!
दिल से कह दो कि जगता रहे