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11:41, 11 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
मौन भी अपना
हवाएँ गुन रहीं
बिना बोले ही
वो सब कुछ सुन रहीं
बोले से
पल को
मुकर भी ले कोई
पर अबोले से
कहाँ निस्तार है
अबोला
आस का संसार है