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"'मन के तार तुझी से बाँधे / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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नयन खोलकर आधे
 
नयन खोलकर आधे
 
 
 
 
'फिर-फिर वृन्दावन में आ के
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'फिर-फिर वृन्दावन में आके
 
रँग देता हूँ तिरछे-बाँके
 
रँग देता हूँ तिरछे-बाँके
 
प्रिये हमारी प्रेम-कथा के  
 
प्रिये हमारी प्रेम-कथा के  

00:48, 20 जुलाई 2011 का अवतरण


'मन के तार तुझी से बाँधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!'
 
'साज भिन्न हो समय-समय का
राग न छूट सका नव वय का
सुर अब भी है वही हृदय का
लाख जोग-जप साधे
 
'वेणु बजाता वंशीवट  पर
फिरता हूँ नित यमुना-तट पर
तुझे देखता हूँ पनघट पर
नयन खोलकर आधे
 
'फिर-फिर वृन्दावन में आके
रँग देता हूँ तिरछे-बाँके
प्रिये हमारी प्रेम-कथा के
पृष्ठ रहे जो सादे'

'मन के तार तुझी से बाँधे
जीवन के अंतिम पल तक हम अलग न होंगे, राधे!'