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"अम्बर तक जय-घोष छा रहा पावन पूजन-वेला है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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आये कितने वीर, धरा का कर पल भर श्रृंगार चले
 
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कितने ऐसे चले अमृतमय, ओरों को भी तार चले
 
कितने ऐसे चले अमृतमय, ओरों को भी तार चले
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धन्य जिन्होनें भव-विमुक्ति-हित कष्ट मरण का झेला है
 
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गाँव-गाँव में गाता कोई गाँधी का सन्देश चला
 
गाँव-गाँव में गाता कोई गाँधी का सन्देश चला

02:27, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


अम्बर तक जय-घोष छा रहा पावन पूजन-वेला है
आज धरा-माँ के मंदिर में भू-पुत्रों का मेला है
. . .
कितने यहाँ जलन ले आये, विष की कर बौछार चले
कितने धन, दारा, परिजन में अपना तन-मन वार चले
आये कितने वीर, धरा का कर पल भर श्रृंगार चले
कितने ऐसे चले अमृतमय, ओरों को भी तार चले
धन्य जिन्होनें भव-विमुक्ति-हित कष्ट मरण का झेला है
. . .
गाँव-गाँव में गाता कोई गाँधी का सन्देश चला
छ्यासठ कोटि पगों से उठकर, यह लो सारा देश चला
कोटि-कोटि हलधर के जोड़े चले नील घन-माला संग
भूमि चली, नभ चला, चराचर चले, स्वयं सर्वेश चला
सत्य-अहिंसा-साधक जग में किसने कहा 'अकेला है'!
 
अम्बर तक जय-घोष छा रहा पावन पूजन-वेला है
आज धरा-माँ के मंदिर में भू-पुत्रों का मेला है

(विनोबा भावे तथा भूदान-आन्दोलन)