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"तुमने कहा था--/ गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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तुम प्रतीक्षा करना
 
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मैं इन खँडहरों से घूमकर आती हूँ,
 
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जरा देर को इन पाषाण-मूर्तियोंसे
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जरा देर को इन पाषाण-मूर्तियों से
 
अपना मन बहलाती हूँ.'
 
अपना मन बहलाती हूँ.'
 
और तुम फिर कभी लौट कर नहीं आयी.
 
और तुम फिर कभी लौट कर नहीं आयी.
मैं आवाज पर आवाज देता रहा
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किन्तु हर बार
 
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मेरी प्रतिध्वनि ही मुझसे आकर टकरायी.
 
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बेबसी से सिर मारा था!'
 
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आह! जब तुम्हारी उस विकलता का ध्यान आता है
 
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तो अपना सारा दुःख-दर्द भूलकर 
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मेरा हृदय तुम्हारे दर्द में तड़पने लग जाता है!
 
मेरा हृदय तुम्हारे दर्द में तड़पने लग जाता है!
 
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03:15, 21 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


तुमने कहा था--
तुम प्रतीक्षा करना
मैं इन खँडहरों से घूमकर आती हूँ,
जरा देर को इन पाषाण-मूर्तियों से
अपना मन बहलाती हूँ.'
और तुम फिर कभी लौट कर नहीं आयी.
मैं आवाज़ पर आवाज़ देता रहा
किन्तु हर बार
मेरी प्रतिध्वनि ही मुझसे आकर टकरायी.
'ओ सुकुमारी!
क्या तुमने भी वहाँ
अधीर हो-होकर मुझे पुकारा  था!
अपने चारों और घिरी काली, पत्थर की दीवालों  पर
बेबसी से सिर मारा था!'
आह! जब तुम्हारी उस विकलता का ध्यान आता है
तो अपना सारा दुख-दर्द भूलकर 
मेरा हृदय तुम्हारे दर्द में तड़पने लग जाता है!