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"तुमने अच्छी प्रीति निभायी! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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जनहित में अर्पित था जीवन | जनहित में अर्पित था जीवन | ||
किन्तु रुक्मिणी से मिलते क्षण | किन्तु रुक्मिणी से मिलते क्षण | ||
− | राधा याद न आयी! | + | राधा याद न आयी! |
गाँव गली कितनी भी छूटे | गाँव गली कितनी भी छूटे | ||
डोर प्रेम की कैसे टूटे! | डोर प्रेम की कैसे टूटे! | ||
क्यों रच-रचकर रास अनूठे | क्यों रच-रचकर रास अनूठे | ||
− | भोली प्रिया रिझायी! | + | भोली प्रिया रिझायी! |
राधा ने थी पढ़ी न गीता | राधा ने थी पढ़ी न गीता | ||
सोचा भी, उसपर क्या बीता! | सोचा भी, उसपर क्या बीता! | ||
रोती फिरी लिये घट रीता | रोती फिरी लिये घट रीता | ||
− | यमुना-तीर कन्हाई! | + | यमुना-तीर कन्हाई! |
तुमने अच्छी प्रीति निभायी! | तुमने अच्छी प्रीति निभायी! | ||
एक बार भी मोहन! ब्रज की ओर न दृष्टि फिरायी! | एक बार भी मोहन! ब्रज की ओर न दृष्टि फिरायी! | ||
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04:40, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
तुमने अच्छी प्रीति निभायी!
एक बार भी मोहन! ब्रज की ओर न दृष्टि फिरायी!
माना राजकाज था बंधन
जनहित में अर्पित था जीवन
किन्तु रुक्मिणी से मिलते क्षण
राधा याद न आयी!
गाँव गली कितनी भी छूटे
डोर प्रेम की कैसे टूटे!
क्यों रच-रचकर रास अनूठे
भोली प्रिया रिझायी!
राधा ने थी पढ़ी न गीता
सोचा भी, उसपर क्या बीता!
रोती फिरी लिये घट रीता
यमुना-तीर कन्हाई!
तुमने अच्छी प्रीति निभायी!
एक बार भी मोहन! ब्रज की ओर न दृष्टि फिरायी!