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"क्रमशः / कीर्ति चौधरी" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कीर्ति चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> क्रमशः यों बीत …) |
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15:13, 13 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
क्रमशः यों बीत गया जीवन पल छिन
कुछ भी तो किया नहीं, था तो अनगिन
बीते की स्मृति में धुन-धुन पछताए
अब तो कुछ कर डालो, बाक़ी है दिन ।