भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ढेंकुरुस / मणिका दास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणिका दास |संग्रह=वक़्त मिले तो आ जाना / मणिका दा…)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:08, 28 अगस्त 2011 के समय का अवतरण

ढेंकुरुस गीत समेट कर
तू लोककथा बन जाएगी
तो क्या आएगा अभिमानी सावन
दूसरे के आँगन में न ले जाने पर तुझे
सूखे खेत क्या हर हो पाएँगे

दादी के पैरों के सं-संग
नाचती थी तू
मा~म की कमर के इर्द-गिर्द
सलवटें दौड़ाती थी तू

ढेंकु !
तेरे पास आने की मुझे फुरसत नहीं मिली
कल मैं जहाँ जाऊँगी
वहाँ है क्या
तेरे लिए जगह !

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार