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"चुप-चुप-चुप / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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चुप-चुप-चुप !
 
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ब्सड़े सदा रहते गुस्से में ।
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बड़े सदा रहते गुस्से में ।
 
हँसी कहाँ उनके हिस्से में ?
 
हँसी कहाँ उनके हिस्से में ?
 
डाँट-डपट पूरे किस्से में ।
 
डाँट-डपट पूरे किस्से में ।

10:29, 26 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

बड़े अगर बोलें तो भैया,
चुप-चुप-चुप !
चुप-चुप-चुप !

कान खिंचाई बच जाएगी ।
मार-पिटाई बच जाएगी ।
व्यर्थ लड़ाई बच जाएगी ।
चुप-चुप-चुप !
चुप-चुप-चुप !

बड़े सदा रहते गुस्से में ।
हँसी कहाँ उनके हिस्से में ?
डाँट-डपट पूरे किस्से में ।
चुप-चुप-चुप !
चुप-चुप-चुप !