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"दु:ख / अर्जुनदेव चारण" के अवतरणों में अंतर

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रचता है तुम्हें।
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'''अनुवाद :-  कुन्दन माली'''
 
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13:01, 1 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण


अपने दुःख को
कोई याद नहीं रखता मां
वह भी नहीं
जो
रचता है तुम्हें।

अनुवाद :- कुन्दन माली