भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गंगा स्तुति / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज' }} <poem> मा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

09:58, 15 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

मायामोहिनी के बस भांवरी भरत ताहि मुक्ति दै के भवर बनाया निज अंग है।
नीचताइ नीचन सों वेग उदवेगन सों खल चितकार धुनि कलकल संग है॥
ताइ पैन न्यायो मल चन्द्रिका समान जल षीतल सरोज थलशुचि शुभगंगा है।
भूतल निवासिन केर कल्भश हरन करि देत पद अच्युत ये उछलि तरंगा हें॥