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"सरस्वती स्तुति / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'" के अवतरणों में अंतर

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वाहन मराल कर पुस्तक ओ वीन माल सुन्दर वसन स्वच्छ सोभे जनु चानी के।
सिंह पेसवार लीन्हे शूल करवाल धारे हियख्याल प्रेम शिव वर दानी के।।
भक्तन को देत बुद्धि विद्या धन सम्पति इ नाम अवलम्ब एक मूढ़ अभिमानी के।
पूजन सरोज पद करत प्रणाम सदा सेवक कहावे मातु शारदा भवानी के।।