भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रूमाल / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
कहाँ रह गया ? | कहाँ रह गया ? | ||
कहीं उसे मैं छोड़ न आया हूँ कुर्सी पर ? वह कितना | कहीं उसे मैं छोड़ न आया हूँ कुर्सी पर ? वह कितना | ||
− | + | मैला था | |
उस से मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब | उस से मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब | ||
− | + | पोंछी थी । | |
</poem> | </poem> |
02:11, 19 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
वह मेरा रूमाल कहाँ है ?
कहाँ रह गया ?
कहीं उसे मैं छोड़ न आया हूँ कुर्सी पर ? वह कितना
मैला था
उस से मैंने जूता नाक पसीना और क़लम की निब
पोंछी थी ।