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"छाँह-द्वीप तुम ! / रमेश रंजक" के अवतरणों में अंतर

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                 अनाथ मन     
 
                 अनाथ मन     
 
बैठ गई है पगडंडी पर
 
बैठ गई है पगडंडी पर
              देह की थकन
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              देह की थकन
 
तब-तब मेरे वर्तमान को
 
तब-तब मेरे वर्तमान को
                सुधा पिलाकर
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              सुधा पिलाकर
 
सिद्ध कर गए हो—
 
सिद्ध कर गए हो—
 
कोरे इतिहास नहीं हो     
 
कोरे इतिहास नहीं हो     
 
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12:16, 24 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

थल के छाँह-द्वीप तुम !
पल के सिन्धु-सेतु हो
जल-थल के संबल हो,
लेकिन पास नहीं हो

जब-जब पनडुब्बी भर
                    डूबा है
                अनाथ मन
बैठ गई है पगडंडी पर
              देह की थकन
तब-तब मेरे वर्तमान को
              सुधा पिलाकर
सिद्ध कर गए हो—
कोरे इतिहास नहीं हो