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"अपमान / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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− | इतना असर | + | इतना असर<br /> |
− | मत होने दो अपने ऊपर | + | मत होने दो अपने ऊपर<br /> |
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− | सदा ही | + | सदा ही<br /> |
− | और सबके आगे | + | और सबके आगे<br /> |
− | कौन सम्मानित रहा है भू पर | + | कौन सम्मानित रहा है भू पर<br /> |
− | + | <br /> | |
− | मन से ज्यादा | + | मन से ज्यादा<br /> |
− | तुम्हें कोई और नहीं जानता | + | तुम्हें कोई और नहीं जानता<br /> |
− | उसी से पूछकर जानते रहो | + | उसी से पूछकर जानते रहो<br /> |
− | + | <br /> | |
− | उचित-अनुचित | + | उचित-अनुचित<br /> |
− | क्या-कुछ | + | क्या-कुछ<br /> |
− | हो जाता है तुमसे | + | हो जाता है तुमसे<br /> |
− | + | <br /> | |
− | हाथ का काम छोड़कर | + | हाथ का काम छोड़कर<br /> |
− | बैठ मत जाओ | + | बैठ मत जाओ<br /> |
ऐसे गुम-सुम से ! | ऐसे गुम-सुम से ! |
09:08, 1 जनवरी 2012 के समय का अवतरण
अपमान का
इतना असर
मत होने दो अपने ऊपर
सदा ही
और सबके आगे
कौन सम्मानित रहा है भू पर
मन से ज्यादा
तुम्हें कोई और नहीं जानता
उसी से पूछकर जानते रहो
उचित-अनुचित
क्या-कुछ
हो जाता है तुमसे
हाथ का काम छोड़कर
बैठ मत जाओ
ऐसे गुम-सुम से !