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"तेर मेर छांडे बिना, देर-फेर फेर पडे / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

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उर में हरि हेरे बिना, मिले कहां बावरे।
 
उर में हरि हेरे बिना, मिले कहां बावरे।
 
लगाके लंगोटी बना, वारे वा रोटी दास,
 
लगाके लंगोटी बना, वारे वा रोटी दास,
दुनियो की न आस तजी, झूठा तप ताव रे।
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दुनियां की न आस तजी, झूठा तप ताव रे।
पेट भरण भरण हेत करता जरगरण मूढ़,
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पेट भरण भरण हेत करता जागरण मूढ़,
 
ज्ञान ध्यान भक्ति बिन कहां हर्ष चाव रे।
 
ज्ञान ध्यान भक्ति बिन कहां हर्ष चाव रे।
 
कहता शिवदीनराम राम-राम  राम रिझा,
 
कहता शिवदीनराम राम-राम  राम रिझा,
 
त्यागो अभिमान मान संत शरण आवरे।
 
त्यागो अभिमान मान संत शरण आवरे।
 
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19:40, 22 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

तेर मेर छांडे बिना, देर-फेर फेर पडे,
उर में हरि हेरे बिना, मिले कहां बावरे।
लगाके लंगोटी बना, वारे वा रोटी दास,
दुनियां की न आस तजी, झूठा तप ताव रे।
पेट भरण भरण हेत करता जागरण मूढ़,
ज्ञान ध्यान भक्ति बिन कहां हर्ष चाव रे।
कहता शिवदीनराम राम-राम राम रिझा,
त्यागो अभिमान मान संत शरण आवरे।