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"रंगों के बोल / सोम ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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भैरवी दिवानी का भोर कहाँ | भैरवी दिवानी का भोर कहाँ | ||
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देह घूम - नाचे ज्यों अप्सरा | देह घूम - नाचे ज्यों अप्सरा | ||
− | कौन लगन , लाल गाल लाज लजे | + | कौन लगन, लाल गाल लाज लजे |
सोनल झंकार बिना तार बजे | सोनल झंकार बिना तार बजे | ||
प्राणों की बंदिश में एक टेक | प्राणों की बंदिश में एक टेक |
12:14, 24 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
गूँजे वंशी -मादल
झमके झांझर - पायल
रंगो के बोल भी सुनो ज़रा
हाँ, मन के रंगों के बोल भी सुनो ज़रा
सरगम के ज्वारों का छोर कहाँ
भैरवी दिवानी का भोर कहाँ
प्यार झूम -गये गन्धर्वों - सा
देह घूम - नाचे ज्यों अप्सरा
कौन लगन, लाल गाल लाज लजे
सोनल झंकार बिना तार बजे
प्राणों की बंदिश में एक टेक
अंगों ने छेड़ दिया अंतरा
सीमायें बढ़कर उलझाती हैं
बाहें वरमाल हुई जाती हैं
दृष्टि रचे सिंदूरी सभागार
सृष्टि -- सिया हो चली स्वयंवरा
रंगों के बोल भी सुनो ज़रा