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"स्नेह जल / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर
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13:56, 24 मार्च 2012 के समय का अवतरण
झुलसा हूँ
सूर्यनारायण की
तीक्ष्ण निगाहों से
भटका हूँ
आग उगलती लू में।
मैं मरूपुत्र
मरूभौम की
रेत का कण हूँ
माँ !
बरसा दो
स्नेह-जल