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"हाइकु / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
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15:54, 10 मई 2012 का अवतरण
याद
(1)
कैसे कहूँ कि
किसकी याद आई?
चाहे तड़पा गई।
(2)
याद उमस
एकाएक घिरे बादल में
कौंध जगमगा गई।
(3)
भोर की प्रथम किरण फीकी :
अनजाने जागी हो
याद किसी की--
हिन्दी में हाइकु की प्रथम चर्चा का श्रेय अज्ञेय को दिया जाता है, उन्होंने हाइकु सी लगनी वाली अनेक रचनाएँ लिखी हैं जिन पर लगातार शोध जारी है। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' के अनुसार - अज्ञेय जी की ये प्रस्तुत रचनाएँ हाइकु के छन्द-विधान पर खरी नहीं उतरती । श्रद्धा के वशीभूत होकर इन्हें हाइकु कहना समीचीन नहीं होगा।