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"मैंने सातों सुर साधे हैं / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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मैंने सातों सुर साधे हैं     
 
फिर भी बिना तुम्हारे, मेरे गीत अभी आधे हैं
 
 
राग गले तक रह जाता है
 
जग का हृदय न छू पाता है
 
जुड़ न सका तुमसे नाता है
 
यों तो मैंने कसकर मन के तार-तार बाँधे हैं
 
 
मेरे शब्द-भ्रमर गुमसुम-से
 
मिलकर भी हर कली-कुसुम से
 
मिले नहीं उपवन में तुमसे
 
इतना लिख-लिखकर  भी लगता, पृष्ठ सभी सादे हैं
 
 
मैंने सातों सुर साधे हैं
 
फिर भी बिना तुम्हारे, मेरे गीत अभी आधे हैं
 
<poem>
 

08:55, 12 मई 2012 का अवतरण