भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाथ-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>खुदा देता है सब को दो-दो हाथ जन्म के साथ ही दुआ-दया-खिदमत इनायत क…)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>खुदा देता है
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<poem>
 +
ख़ुदा देता है
 
सब को
 
सब को
 
दो-दो हाथ
 
दो-दो हाथ
पंक्ति 5: पंक्ति 12:
 
दुआ-दया-खिदमत
 
दुआ-दया-खिदमत
 
इनायत के लिए
 
इनायत के लिए
 +
 
फ़िर भी
 
फ़िर भी
 
कुछ लोग
 
कुछ लोग
पंक्ति 10: पंक्ति 18:
 
कर लेने का
 
कर लेने का
 
भ्रम पालते हैं
 
भ्रम पालते हैं
 +
 
फ़िर  
 
फ़िर  
 
उठ ही जाते हैं हाथ
 
उठ ही जाते हैं हाथ
बद सबब में.
+
बद सबब में
 
</poem>
 
</poem>

22:27, 16 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

ख़ुदा देता है
सब को
दो-दो हाथ
जन्म के साथ ही
दुआ-दया-खिदमत
इनायत के लिए

फ़िर भी
कुछ लोग
दो-दो हाथ
कर लेने का
भ्रम पालते हैं

फ़िर
उठ ही जाते हैं हाथ
बद सबब में ।