भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भीगी-भीगी रातों में / अजनबी (1974)" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(' == गीत : आनंद बक्षी == == संगीत : आर. डी. बर्मन == भीगी-भीगी ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(गीत : आनंद बक्षी)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
  
  
== गीत : आनंद बक्षी ==
+
== गीतकार : आनंद बक्षी ==
  
 
== संगीत : आर. डी. बर्मन  ==
 
== संगीत : आर. डी. बर्मन  ==

13:37, 11 अगस्त 2012 के समय का अवतरण


गीतकार : आनंद बक्षी

संगीत : आर. डी. बर्मन

भीगी-भीगी रातों में, मीठी-मीठी बातों में

ऐसी बरसातों में, कैसा लगता है

ऐसा लगता है, तुम बनके बादल

मेरे बदन को भीगो के मुझे

छेड़ रहे हो, छेड़ रहे हो


अंबर खेले होली, उइमा

भीगी मोरी चोली, हमजोली, हमजोली

पानी के इस रेले में, सावन के इस मेले में

छत पे अकेले में, कैसा लगता है

ऐसा लगता है तुम बनके घटा

अपने सजन को भीगो के खेल

खेल रही हो, खेल रही हो


बरखा से बचा लूँ तुझे, सीने से लगा लूँ

आ छुपा लूँ, आ छुपा लूँ

दिल ने पुकारा देखो, रुत का इशारा देखो

उफ़ ये नज़ारा देखो, कैसा लगता है, बोलो?

ऐसा लगता है कुछ हो जाएगा

मस्त पवन के यह झोके सैयां

देख रहे हो, देख रहे हो