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"लांघना मुश्किल है / संगीता गुप्ता" के अवतरणों में अंतर

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12:51, 21 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

लांघना मुश्किल है
हमारे बीच पसरे
सन्नाटे को
पर असंभव भी तो नहीं
कभी पुकार कर देखना
या फिर
अपने मौन में ही
सुन सको
तो सुनना
मेरी धड़कन
  
जानती हूँ
तुम्हारी आंखों की प्यास
गहरी है
पर मेरे
आंसुओं की नदी भी
कभी कहां सूखती है
पलकें झपकाओं तो जरा
मेरी नदी
वहीं कहीं बहती है
तुमने सौंपा था
चुपचाप, सबसे चुरा
एक दहकती दोपहर
और में
अपनी कविताएं रोप आई थी
तुम्हारे धधकते मन में
जरा अपने में झांको
देखना
वहां अग्निफूल खिल रहे होंगे
इतनी बांझ भी तो नहीं थीं
मेरी कविताएं
एक पल
जो कभी ठिठकों तो
अपने पांव देखना
मेरे स्पर्श के गुलमोहर
वहां अब भी दहकते होंगे
बर्फ-सी सुन्न
उंगलियां
उन पर रखना कभी
और महसूसना
मेरा होना
सर से पांव तक