भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रदुषण / लालित्य ललित" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालित्य ललित |संग्रह=चूल्हा उदास ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<Poem>
 
<Poem>
  
जी हजू़री !
+
आज आप शुद्ध हवा
माई-बाप
+
कहां पायेंगे ?
आप की दुआ है
+
पार्क में जायेंगे
भगवान आपको बनाए रखे
+
नंगे पैर टहलेंगे तो
हज़ूर को, ऊपर वाला और दे
+
ख़ैर नहीं आपके पैरों की
इस तरह के निवेदन
+
वहां मिलेगी
हवा में तैरते हर दिशा में
+
रात को खाली की गई
मिलेंगे
+
बीयर की बोतलें
हम सुनते भी हैं और
+
अनगिनत पन्नियां
अनसुना भी करते हैं
+
नमकीन की मुड़ी-तुड़ी -
चौराहे पर बिकते हैं
+
थैलियां, ढक्कन
गजरे, पत्रिकाएं, शाम के पेपर
+
अधजली सिगरेट के टुकड़े
चार्ज़र, हैंडिल लॉक, पानी की
+
भला हो
बोतलें
+
बिरजू कबाड़ी का
शनि महाराज से ले कर
+
जो मुंह अंधेरे निकलता है
गोद में उठाए
+
साईकिल पर बोरी बांधे
नवजात शिशुओं को
+
कई-कई पार्क जाता है
ले कर कम उम्र की -  
+
सैर करने नहीं
राजस्थानी माएं
+
बोतलें, पन्नियां, थैलियां
ये दृश्य हर रोज़ के हैं
+
इकट्ठी करने
जो आप से आपका
+
मैं पूछता हूं -
ध्यान चाहती हैं
+
कभी-कभी
मगर आम आदमी की सोच
+
बिरजू से
ज़रा अलग हट कर है
+
बिरजू कितना कमा लेते हो ?
वह देखता है बीड़ी सुलगाता है
+
- मालिक ख़र्चा निकल जाता है
‘ग्रीन लाइट’ पर चल देता है
+
और बिरजू अपने काम में
ऐ बाबू जी ! सुनो तो !
+
लग जाता है
मेम साहब के लिए
+
यह नौजवान बिरजू
गजरा ले जाओ
+
अगर किसी दिन
खुश हो जाएगी
+
सुबह पार्क ना जाए
अविवाहित ड्राइवर
+
तो गंदगी स्वागत करती - दिखेगी
लंबी सांस भरता हुआ
+
बिरजू आने में पक्का है
मुस्काराता चल पड़ता है
+
मैं नंगे पांव नहीं घूमता
सोचता है
+
ना जाने
वो भी
+
कब कौन-सा टुकड़ा
एक दिन
+
मेरा स्वागत कर बैठे
इसी चौराहे से
+
 
गजरा लेगा
+
गाड़ी ने ऱफ्तार पकड़ ली
+
थी ।
+
  
 
</Poem>
 
</Poem>

17:23, 23 अगस्त 2012 के समय का अवतरण


आज आप शुद्ध हवा
कहां पायेंगे ?
पार्क में जायेंगे
नंगे पैर टहलेंगे तो
ख़ैर नहीं आपके पैरों की
वहां मिलेगी
रात को खाली की गई
बीयर की बोतलें
अनगिनत पन्नियां
नमकीन की मुड़ी-तुड़ी -
थैलियां, ढक्कन
अधजली सिगरेट के टुकड़े
भला हो
बिरजू कबाड़ी का
जो मुंह अंधेरे निकलता है
साईकिल पर बोरी बांधे
कई-कई पार्क जाता है
सैर करने नहीं
बोतलें, पन्नियां, थैलियां
इकट्ठी करने
मैं पूछता हूं -
कभी-कभी
बिरजू से
बिरजू कितना कमा लेते हो ?
- मालिक ख़र्चा निकल जाता है
और बिरजू अपने काम में
लग जाता है
यह नौजवान बिरजू
अगर किसी दिन
सुबह पार्क ना जाए
तो गंदगी स्वागत करती - दिखेगी
बिरजू आने में पक्का है
मैं नंगे पांव नहीं घूमता
ना जाने
कब कौन-सा टुकड़ा
मेरा स्वागत कर बैठे