भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ग्वाल / परिचय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKRachnakaarParichay |रचनाकार=ग्वाल }} ग्वाल कवि मथुरा निवासी सेवाराम भट्ट के ...)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
}}
 
}}
 
ग्वाल कवि मथुरा निवासी सेवाराम भट्ट के पुत्र थे। इनका जन्म वृंदावन में हुआ। ये नाभा-नरेश महाराज जसवंतसिंह, महाराज रणजीतसिंह तथा अंत में रामपुर के नवाब के आश्रय में रहे। कहते हैं गुरु कृपा से ये एक ही समय में आठ काम कर सकते थे- ग्रंथ रचना, कविता बनाना, प, नाम जपना, शतरंज खेलना, बातचीत करना, अदृष्ट कथन तथा समस्या पूर्ति करना। ग्वाल ने प्रचुर काव्य रचना की है। इन्होंने पिंगल, रस, अलंकार आदि सभी विषयों पर रचना की है। इनके मुख्य ग्रंथ हैं- 'जमुना-लहरी 'रसिकानंद,'हमीर-हठ, 'राधाष्टक, 'कविदर्पण और 'रसरंग। उत्तर रीतिकालीन कवियों में ग्वाल विख्यात हैं। इनकी कविता में चमत्कार है।
 
ग्वाल कवि मथुरा निवासी सेवाराम भट्ट के पुत्र थे। इनका जन्म वृंदावन में हुआ। ये नाभा-नरेश महाराज जसवंतसिंह, महाराज रणजीतसिंह तथा अंत में रामपुर के नवाब के आश्रय में रहे। कहते हैं गुरु कृपा से ये एक ही समय में आठ काम कर सकते थे- ग्रंथ रचना, कविता बनाना, प, नाम जपना, शतरंज खेलना, बातचीत करना, अदृष्ट कथन तथा समस्या पूर्ति करना। ग्वाल ने प्रचुर काव्य रचना की है। इन्होंने पिंगल, रस, अलंकार आदि सभी विषयों पर रचना की है। इनके मुख्य ग्रंथ हैं- 'जमुना-लहरी 'रसिकानंद,'हमीर-हठ, 'राधाष्टक, 'कविदर्पण और 'रसरंग। उत्तर रीतिकालीन कवियों में ग्वाल विख्यात हैं। इनकी कविता में चमत्कार है।
 +
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार "इनका कविता काल संवत १७८९ से संवत १९१८ तक है."

10:00, 6 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

ग्वाल कवि मथुरा निवासी सेवाराम भट्ट के पुत्र थे। इनका जन्म वृंदावन में हुआ। ये नाभा-नरेश महाराज जसवंतसिंह, महाराज रणजीतसिंह तथा अंत में रामपुर के नवाब के आश्रय में रहे। कहते हैं गुरु कृपा से ये एक ही समय में आठ काम कर सकते थे- ग्रंथ रचना, कविता बनाना, प, नाम जपना, शतरंज खेलना, बातचीत करना, अदृष्ट कथन तथा समस्या पूर्ति करना। ग्वाल ने प्रचुर काव्य रचना की है। इन्होंने पिंगल, रस, अलंकार आदि सभी विषयों पर रचना की है। इनके मुख्य ग्रंथ हैं- 'जमुना-लहरी 'रसिकानंद,'हमीर-हठ, 'राधाष्टक, 'कविदर्पण और 'रसरंग। उत्तर रीतिकालीन कवियों में ग्वाल विख्यात हैं। इनकी कविता में चमत्कार है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार "इनका कविता काल संवत १७८९ से संवत १९१८ तक है."