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"वक्त का अकबर / अनीता कपूर" के अवतरणों में अंतर

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13:04, 23 मार्च 2013 के समय का अवतरण

नहीं सुन पाती अब
तेरी खामोशियों की दीवारों पर
लिखे शब्द
चुनवा दिया है
मेरे अहसाहों को
वक्त के अकबर ने
नज़रों की ईंटों से
और मैं
एक और अनारकली
बन गयी हूँ मैं