भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आँगन की धूप / अनीता कपूर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता कपूर }} {{KKCatKavita}} <poem> तेरे आँगन की...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:05, 23 मार्च 2013 के समय का अवतरण

तेरे आँगन की धूप का एक टुकड़ा
मेरे आँगन में भी उतर आया है
चलो आज तो हम कह दें....
हम भी, हम प्याला हो ही गए...

तेरे इश्क़ की एक बूँद मेंने पी है
मेरे इश्क़ की एक बूँद तूने भी पी ली
चलो आज तो हम कह दें....
हम भी, हम प्याला हो ही गए...