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"पक्षी और बादल / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
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ये भगवान के डाकिये हैं, | ये भगवान के डाकिये हैं, |
17:22, 6 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिठि्ठयाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरती हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश का पानी
बनकर गिरता है।