भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बारिश / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKAnthologyVarsha}}
 
{{KKAnthologyVarsha}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की !
+
<poem>
 
+
बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की!
 
उसे बुला जिसकी चाहत में
 
उसे बुला जिसकी चाहत में
 
 
तेरा तन-मन भीगा है
 
तेरा तन-मन भीगा है
 
+
प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी!
प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी !
+
 
+
 
और जब इस बारिश के बाद
 
और जब इस बारिश के बाद
 
 
हिज्र की पहली धूप खिलेगी
 
हिज्र की पहली धूप खिलेगी
 
+
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे।
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे ।
+

09:29, 22 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

बारिश में क्या तन्हा भीगना लड़की!
उसे बुला जिसकी चाहत में
तेरा तन-मन भीगा है
प्यार की बारिश से बढ़कर क्या बारिश होगी!
और जब इस बारिश के बाद
हिज्र की पहली धूप खिलेगी
तुझ पर रंग के इस्म खुलेंगे।