"उम्मीद का दिया जल रहा है / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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+ | आते हैं दुख जीवन में इंसान ही के कारण॥ | ||
+ | पर उम्मीद का दिया तो दिन-रात जल रहा है | ||
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+ | उम्मीद पर बनीं हैं दुनियां की हर मीनारें, | ||
+ | उम्मीद पर टिकी हैं जीवन की हर इच्छाएं॥ | ||
− | + | उम्मीद पर ही देखो आसमां भी छू के आएं | |
− | + | उम्मीद पर ही देखो हर जुल्म से टकराएं। | |
− | + | उम्मीद पर ही देखो दुश्मन जा भिड़ जाएं | |
− | + | उम्मीद पर ही देखो क्या-क्या न कर दिखाएं॥ | |
− | + | उम्मीद के सहारे तुम शान्ति फिर से लाना | |
− | + | उम्मीद के सहारे खोया विश्वास पाना। | |
− | उम्मीद | + | उम्मीद के सहारे चाहत को फिर जगाना, |
− | उम्मीद | + | उम्मीद के सहारे जीवन में बहार लाना॥ |
− | + | उम्मीद की कभी तुम तौहीन यूं न करना, | |
− | + | उम्मीद के ही बल पर हर मुश्किल से है गुजरना। | |
− | + | उम्मीद का दिया तुम हरदम जलाए रखना , | |
− | + | उम्मीद को बचा कर खुद को बचाए रखना॥ | |
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− | उम्मीद की कभी तुम तौहीन यूं न करना, | + | |
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− | उम्मीद को बचा कर खुद को बचाए | + |
09:37, 21 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
बुझता दिया सुकूं का इंसान ही के कारण
बुझता दिया यकीं का इंसान ही के कारण।
बुझता दिया मुहब्बत का इंसान ही के कारण
आते हैं दुख जीवन में इंसान ही के कारण॥
पर उम्मीद का दिया तो दिन-रात जल रहा है
बुझता नहीं कभी वो आंधियों से लड़ रहा है।
उम्मीद पर बनीं हैं दुनियां की हर मीनारें,
उम्मीद पर टिकी हैं जीवन की हर इच्छाएं॥
उम्मीद पर ही देखो आसमां भी छू के आएं
उम्मीद पर ही देखो हर जुल्म से टकराएं।
उम्मीद पर ही देखो दुश्मन जा भिड़ जाएं
उम्मीद पर ही देखो क्या-क्या न कर दिखाएं॥
उम्मीद के सहारे तुम शान्ति फिर से लाना
उम्मीद के सहारे खोया विश्वास पाना।
उम्मीद के सहारे चाहत को फिर जगाना,
उम्मीद के सहारे जीवन में बहार लाना॥
उम्मीद की कभी तुम तौहीन यूं न करना,
उम्मीद के ही बल पर हर मुश्किल से है गुजरना।
उम्मीद का दिया तुम हरदम जलाए रखना ,
उम्मीद को बचा कर खुद को बचाए रखना॥