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"समय मेरे आसपास / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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17:52, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
आज मैं, आराम से उठी
चाय के कप को अनदेखा कर
सीधे सीधे लिथूनिया के अनजाने
कवि को पढ़ने लगी
उसकी कविताओं का मुँह बरनी सा खुल गया
मेरे शब्द उसमें भरने लगे,
आज मैंने सिंक में पड़े बर्तनों की परवाह नहीं की
धुले कपड़ों को सहेजा नहीं
टी वी को खोल कर
चैनल बदल बदल कर
ढेर सी आवाजों को कमरे में भरने दिया
अक्षर मेरी उंगलियों के पोरों पर टिक गए
जिस वक्त मेरे कम्प्यूटर पर एक नई
कविता जन्म ले रही थी
समय मेरे आसपास
पालतू कुत्ते सा मंडरा रहा था।