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"भीड़ में अकेलापन / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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उस दिन
 
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शब्दों से
 
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वह अकेला हैं
 
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आज भी
 
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जब शब्द भिनभिना रहें हैं
 
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मक्खियों की तरह
 
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अपने साथ रहते हुए
 
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कितनी राहत थी उसे!
 
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भीड़ ने कितना
 
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अकेला बना दिया उसे
 
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18:31, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

वह अकेला था
उस दिन
जब उसे परहेज था
शब्दों से

वह अकेला हैं
आज भी
जब शब्द भिनभिना रहें हैं
मक्खियों की तरह

अपने साथ रहते हुए
कितनी राहत थी उसे!
भीड़ ने कितना
अकेला बना दिया उसे