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"स्मृतियाँ- 10 / विजया सती" के अवतरणों में अंतर

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13:16, 31 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

दोहरे शीशे जड़ी खिड़की से देखती हूँ बाहर की दुनिया
और भरपूर जीती हूँ
अकेलापन नहीं यह मेरा एकांत है
जो मुझे रचता है!