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मैं क्या जिया ?  
 
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मुझको जीवन ने जिया -  
 
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बूँद-बूँद कर पिया, मुझको  
 
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पीकर पथ पर ख़ाली प्याले-सा छोड़ दिया  
 
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मैं क्या जला?  
 
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मुझको अग्नि ने छला -
 
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मैं कब पूरा गला, मुझको  
 
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थोड़ी-सी आँच दिखा दुर्बल मोमबत्ती-सा मोड़ दिया  
 
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देखो मुझे  
 
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हाय मैं हूँ वह सूर्य  
 
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जिसे भरी दोपहर में  
 
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अँधियारे ने तोड़ दिया !
 
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09:58, 4 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

मैं क्या जिया ?

मुझको जीवन ने जिया -
बूँद-बूँद कर पिया, मुझको
पीकर पथ पर ख़ाली प्याले-सा छोड़ दिया

मैं क्या जला?
मुझको अग्नि ने छला -
मैं कब पूरा गला, मुझको
थोड़ी-सी आँच दिखा दुर्बल मोमबत्ती-सा मोड़ दिया

देखो मुझे
हाय मैं हूँ वह सूर्य
जिसे भरी दोपहर में
अँधियारे ने तोड़ दिया !