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शरद् के शुभ आगमन में
गीत पंछी गा रहल बा।
गाँव-गाँवन के गलिन में
साफ अब लउकत डगर रे;
पाँव धोवे हित कहीं पर
जल संजोले बा नगर रे;
आगमन सम्वाद ले के
आज खंजन आ रहल बा।
रात के शुभ चाननी में
बिछ रहल बा शुभ्र चानी
चाँद विहँसेला गगन में
कुमुद पर उमड़त जवानी;
शशि मधुर सत्कार में खुद
धूम धाम मचा रहल बा।
काश के फूलल कुसम में
चँवर अब धरती डुलावे;
डाल पेड़न के हवा पर चढ़
चलल जल्दी बुलावे;
आज पुरुवा के लहर कुछ
लाज से सकुचा रहल बा।
शरद् के शुभ आगमन में
गीत पंछी गा रहल बा।