भाग्य वाद पर अड़े हुए हो|<br>
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छोरो छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,<br>जीवन मी में परिवर्तन लाओ |<br>परंपरा से ऊंचे उठ कर ,<br>
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br>
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बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |<br>
पढो, लिखो, शादी करवा लो ,<br>
फ़िर फिर मानो यह बात हमारी |<br>
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माता पिता से काट कनेक्शन,<br>
अपना दरबा दड़बा अलग बसाओ |<br>
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br>
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करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,<br>
पैसे की है सख्त सख़्त ज़रूरत |<br>
अर्थ समस्या हल हो जाए, <br>
शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |<br>
यह भी कला बहुत मामूली |<br>
नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो,<br>
कविता क्या है, गाजर मुली मूली |<br>
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कोश खोल कर रख लो आगे, <br>
क्लिष्ट शब्द उसमेँ उसमें से चुन लो|<br>
उन शब्दों का जाल बिछा कर,<br>
चाहो जैसी कविता बुन लो |<br>
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श्रोता जिसका अर्थ समझ लेँलें,<br>
वह तो तुकबंदी है भाई |<br>
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,<br>
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पिकनिक का जब मूड बने तो,<br>
ताज महल ताजमहल पर जा सकते हो |<br>शरद - पूर्णिमा दिखलाने को,<br>
'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |<br>
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वे देखेँ देखें जिस समय चंद्रमा,<br>
तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |<br>
फ़िर फिर दोनों मिल कर के गाओ, <br>
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |<br>
( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)<br>
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आलू छोला, कोका - कोला, <br>
'उनका' भोग लगा कर पाओ |<br>
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|<br>
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