भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पीले पानी की बूँदें / भूपिन्दर बराड़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भूपिन्दर बराड़ |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:21, 22 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
छत से छूती थीं
पीले पानी की बूँदें
कोई शोर नहीं होता था
इत्ती गहरी थीं
उसके तीन बच्चों की आवाजें
उन्हें दुलारता
वह हंस नहीं सकता था बहरहाल