"वरदान बने अभिशाप / रामफल चहल" के अवतरणों में अंतर
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हिन्दु धर्म शास्त्रों में इसी मान्यता सै के इस धरती पै आदमी नै ब्रह्मा जी पैदा होण का वरदान दे जब वो जन्म लै सै अर विष्णु इस मृत लोक का सचालक सै। आदमी तैं पहलां पशु जमीन पै पैदा होये थे अर ब्रह्मा जी नै जब आदमी बणाया तो बहोत सारे वरदान भी दिए जो हमने अपणे आप श्राप (अभिशाप) में बदल लिए। चारों युगां का जिक्र इस कविता म सै।
ब्रह्मा नै विष्णु बुलवाए म्हारै घरां पधारो आप
पृथ्वी बसाणा चाहूं सूं उसके बणो संचालक आप
पुतला ठाकै ब्रह्मा लाया विष्णु के खडे़ होगे कान
सब जीवां तैं न्यारा दीखै कर देगा यो घणा परेशान
गुण औगुण की चर्चा चाल्यी विष्णु सुणरया धर कै ध्यान
बेकाबू यू हो ज्यागा दे राखे इतणे वरदान
ब्रह्मा बोल्या बिष्णु तै यो मानव मन्नै बणाया
मृत लोक म्हं भेजण का सै मन म्हं घणा उम्हाया
बिष्णु बोल्या कुछ बातां का भेद समझ म्हं ना आया
सींग हटा दिए पूंछ हटा दी यो पेट बी क्यूं ना हटाया
ब्रह्मा बोल्या पेट बिना यो संसार चलै कोन्या
ठाली बैठे खुराफात करैंगे कोए बी काम करै कोन्या
पेट म्हं जब भूख लगेगी यो दबकै खूब कमावैगा
खेती करैगा अन्न निपजैगा कुणबा बैठ्या खावैगा
बिष्णु बोल्या तेरी चाल्लै सै तूं अपणी खूब चलावैगा
पर जाणू सूं भूख के बहाने के के काम करावैगा
कदे मदनावत पाणी भरैगी अर हरीश्चन्द्र चिता बुझावैगा
कदे सत्यावान लाकड़ी काटैगा अर नल तीतर भूणना चाहवैगा
खैर तन्नै पेट आली तो करी सो करी, पर जीभ तैं ना बुलवावै
बिष्णु तू स्याणा सै गूंगा राखण की उल्टी शिक्षा मत ना लावै
जीभ तैं बेद पढ़ावैगा हरि गुण गावैगा बालकां न अच्छी बात सिखावैगा
विष्णु बोल्या यो बड़ी बात करैगा स्वाद चखैगा अर ताने खूब लगावैगा
यो अच्छा खावैगा ताकत पावैगा अर काम बीच धंस जावैगा
कदे केकैयी बण दशरथ न घेरैगा अर रामचन्द्र न बण म्हं खंदावैगा
कदे रावण बण सीता न हरैगा कदे इन्द्र मुर्गां पै बांग दुवावैगा
कदे बाली बण भाभी खोसैगा कदै नारद मूंह बन्दर का करवावैगा
खैर मजबूर सूं तेरी या भी मान्नी पर एक जगहां तो रहज्या छान्नी
तू इसनै बुद्धि का ज्ञान मत दिखा अर क्रोध और अभिमान मत सिखा
ना तो मछली बींध द्रोपत ब्याहवैगा कदे परसुराम बण कुहाड़ा ठावैगा
कदे भीष्म बण कै राज बचावैगा कदे एकलव्य बण अगूंठा कटवावैगा
कदे कर्ण बण कै शेर मारैगा कदे दुशासन बण चीर तारैगा
कदे सुदर्शन के दम पै नहीं हारैगा फिर कदे सूत्ते न भील मारैगा
तू ठाड्डा सै ज्याहे तैं मेरी एक नहीं मान्या
पर इस झकोई नै धन अर विज्ञान की तो कती नहीं चान्हा
ब्रह्मा बोल्या रै बिष्णु तू तो दिल का घणा बोदा सै
धन अर विज्ञान बिना भला या दुनिया के सौदा सै
बिष्णु बोल्या ना मान्नै मैं ईब आगै कती नहीं चुसकता
पर कलयुग आ लेण दे फेर हाण्डैगा टसकता
यो चांद पै जाकै बसैगा मंगल अर गुरू पै पैडी लावैगा
कदे पीएम बण सूटकेस लेगा अर सी.एम. बणकै घास खावैगा
कदे गेट बण कै ब्यापार करैगा अर कदे मानव बंम बण जावैगा
कदे एटम के दम पै अकड़ेगा अर धन खातर बहू जलावैगा
इस पेट का तो गूमड़ा सा रीतै भरैगा जब कन्या भ्रूण गिरावैगा
हजार के पाच्छै सात सौ रह ज्यांगी जब पाच्छै पिछतावैगा
उसदिन बिष्णु की बात टाल आज ब्रह्मा भी घणा पच्छताया
पेट खड्डा भरण की खातर ’चहल’ कुरूक्षेत्र म्हं बैठ्या पाया
ब्रह्मा बोल्या बिष्णु तैं यो नया माडल मन्नै बणाया
सींग हटा दिए, पूंछ हटा दी पेट बी क्यूं ना हटाया