"गाम सांझला कुआ / रामफल चहल" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामफल चहल |अनुवादक= |संग्रह=पलपोट...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:38, 25 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
हमारे गांव में एक गांम साझला कुआं है जो अब खण्डहर में बदल गया है। यह कुआ सन 1956 में गांव द्वारा तैयार करवाया गया था जिसमें से अब कोई पानी नहीं भरता और बदबूदार काई युक्त पानी उसकी दुर्दशा की कहानी कहता है।
सुन्दर निर्माण शैली वाले मिट्ठे जल युक्त कुओं की लगभग सभी गांवों में यही हालत हो चुकी है तथा ये धरोहर अब विलुप्ति की कगार पर हैं।
म्हारे गाम नै कट्ठा होकै कदे बणाया था सांझला कुआ
च्यार पाड़छे ऊंची बुर्जी पाणी भरती मां अर बुआ
मेरे होण पै जलवा पूज्या जब इसै पै पहली चाब बटाई थी
पत्थर लगे पै जब तारीख देखी तो सन् 1956 की पाई थी
कदे तो इस कुएं पै पूरे गाम का पनघट लाग्या करता
जिस भाभी का मूंह देखणा होता अड़ै आकै भाग जाग्या करता
सारी सुख दुख की इसै कुएं पै आकै नै बतलाया करती
हरेक ब्याहली मुकलायी पायां की महंदी इसै चबूतरे पै छुड़ाया करती
सिंगर कै हर बार नया सूंट पहर पाणी भर भर ल्याया करती
औसरै बारी सारी भरती नई बहुआं पा बरही खिंचाया करती
सारा हांगा लगा बोहड़िया सैअड़ दे गूंअण म्हं जाया करती
सास नणद की चुगली चर्चा गाम गुहाण्ड की खबर सुणाया करती
कात्तक के महीने म्हं छोहरी नहां कै अड़ै ए हरजस गाया करती
फेर जलघर बणग्या पाइप दबकै घरां म्हं डिग्गी का पाणी आग्या
सौतण बणी टूंटी कुए की कुए का दिल घणा घबराग्या
कुछ साल के अरसे म्हं फेर कुआ होग्या कती सुनसान
कदे रौनक घर था लुगाइयां की आज काई भर रही बेअनुमान
ईब गूअण के म्हां बोझे जागग्ये राही म्हं बणा लिया मकान
मैं कुए म्हं झांक्या तो कुआ धाड़ मार मार रोया
बोल्या रै देख रामफल मेरी गैल यो किसा मोटा चाला होया
मैं बोल्या रै ठीक सै कुए तू अपनी करनी का फल पाग्या
मीठा पाणी तो तन्नै प्याया पर 40 साल म्हं 40 लुगाइयां न भी तो खाग्या
जब भी कोए इस गाम की बहू जीवण तै छक जाया करती
तेरै ए पाड़छै आकै दअड़ दे भीतर डाक लगाया करती
इब ना तेरै धौरै कोए आंवता ना तूं किसे न काल बणकै खांवता
कुआ बोल्या घणा ना बोल्लै तेरे गाम के घणे ए भेद छुपा रह्या सूं
हर महीने कम ते कम एक अणजामी छोहरी न खा रह्या सूं
कोए पोलीथीन म्हं पत्थर अर लोथड़ा घाल मेरे म्हं फैंक ज्या सै
अर कोए मेरी गूअण म्हं फैंक कै कुत्यां न खुवा ज्या सै
मैं तेरे आगै हाथ जोड़ूं सूं तू मन्नै इस पाप तै बचा दे
गाम म्हं तैं तागड़ी पागड़ी करकै मन्नै माटी तै ठाड्डा भरवादे
मेंरे ऊपर यो एहसान नहीं सिर्फ मेरे मीठे पाणी का मोल चुकादे
मन्नै हिम्मत करकै गाम की पंचात जुटा कै कुए की अर्ज सुणाई
हुराकड़े से पंचाती बोल्ले तूं सोच्चै सै उतणा बावला यो गाम नहीं
हम तो नये कुए खोदण के सां पुराण्या नै भरणा म्हारा काम नहीं