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"बाप का वरदान / रामफल चहल" के अवतरणों में अंतर

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सुख तैं जग म्हं रहूं जींवता यो चाहिए वरदान तेरा बाबु
पैदा करया अर पाल्या पौस्या सै घणा एहसान तेरा बाबु
सुक्ष्म रूप धर पति पत्नि के गर्भ बीच म्हं जावै सै
र्नौ महीने तक उल्टा लटकै मनुष्य जन्म जब पावै सै
हाड़ पिता से मांस मात से गुण नाना से ल्यावै सै
मां पर पूत पिता पर घोड़ा सदा न्यूं होती आवै सै
कार व्यवहार दे परिवार परवरिश अगत बणावै सै
पिता का अंश पूत म्हं हो कदे भी ले इम्तिहान मेरा बाबु.........
बालकपण मं उछाल उछाल कै आपणी गोद खिलाया करता
चीजी ले कै उल्टी देणी अपणे हाथां आप सिखाया करता
कड़वे नीम तै भी बड़ा बणूं तूं खूबै आशीष लुटाया करता
आटड़े बाटड़े कान्ना बात्ती अर गहर गडी करवाया करता
कांधै बिठा कदे पद्धी चढ़ा मेला दिखाकै ल्याया करता
खुद दुख पाकै भी पूरा करया तन्नै हर अरमान मेरा बाबु........
दादा दादी की सेवा करणा या बात दावैं समझाई थी
छोटे बड्डे के काण काअदे तन्नै सारी बात सिखाई थी
फेर तख्ती बस्ता दे स्कूल भेज दिया करवादी शुरू पढ़ाई थी
कुबध करी तो छोह म्हं आया पर छकमा करी समाई थी
टिण्डी मलाई दई मेरे तै खुद गण्ठा रोटी खाई थी
कोए मारैगा इसकै तो लागैगी मेरै था इसा एलान तेरा बाबु.......
इसै आशीष की बिनती करूं मैं, धर्म हार धन नहीं हरूं मैं
पाप करण तैं सदा डरूं मैं ’चहल’ का ऊचा नाम करूं मैं
स्वाभिमान का ख्याल करूं मैं अभिमान तैं सदा टलूं मैं
आखर तक तेरी टहल करूं मैं जभी हो कल्याण मेरा बाबु.......
पैदा करया अर पाल्या पौस्या सै घणा एहसान तेरा बाबु
सुख तैं जग म्हं रहूं जींवता यो चाहिए वरदान तेरा बाबु