भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"इडली डोसा खावांगे / रामफल चहल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामफल चहल |अनुवादक= |संग्रह=पलपोट...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:12, 25 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

बिगड़ते लिंग अनुपात के कारण अब हरियाणा में यू पी, बिहार व केरल से दुल्हनें आने लगी हैं जिस कारण हमारे खानपान में भी बदलाव आने लगा है। दो कुवांरे दांस्त धारे और प्यारे दलिया राबड़ी की जगह इडली डोसा खाने की चर्चा इसप्रकार करते हैं।

प्यारे- ये घणी सुथरी दीखै छोहरी
इनके फैशन म्हं हद हो रही
धारे चाल, इनतें बतलांवांगे
मीठी करकै इनतें बात
ब्याह का जिक्र चलांवांगे

धारे- कोण अंग्रेजी बोलै इनकी गैल
इन्हैं चाहिएं सुथरे छैल
तूं सै गाम का देसी बैल
बता क्यूंकर इन्हैं पटांवांगे
जब बोलैगी अंग्रेजी ना भाजे ठ्यावैंगे

प्यारे- मनै आवै अंग्रेजी काफी
सॉरी बोल कै मांगू माफी
इन्हैं प्याऊं कोल्ड या कॉफी
इश्क के पेंच लड़ावांगे
न्यूं शर्माए जांगे तो रांडे ऐ रहजावांगे

धारे- उम्र जाली सै म्हारी आधी
घरके कोन्या करते शादी
बिन शादी हो ज्या बर्बादी
चल किते लव मैरिज करवांवांगे
धर के ब्याह की तारीख डी.जे. बजवांगें

प्यारे- तूं सुण ले सौ का तोड़
न्यूं ना बंधता दीखै मौड़
दिखावां धन की इब मरोड़
बहू केरल तैं ल्यावांगे
दयां खिचड़ी खाणी छोड़ उत्पम उपमां खावांगें

धारे- देख ले अल्ट्रासाऊंड का खेल
सात सौ रहग्यी हजार की गेल
तीन सौ रहे बिन बान और तेल
किसनै देई धाम धुकवांवांगे
मटणे की जगहां गात पै राख मसलांवांगे

प्यारे- दक्खण की सै घणी काली छोहरी
उनकी बोली म्हं हद होरही
वै तो करकै भाजज्यां चोरी
कोण सै थाणै रिपोर्ट लिखवावागे
दो किल्ले आवै बांटै एक न पढ़ण बिठावांगे

धारे- यो कहता रामफल चहल
तम इब बी करलो पहल
बन्द करों अल्ट्रासाऊंड की सैल
ना तो कर मल मल पछतांवागें
लापसी पूड़े छोड़ इडली डोसा खावांगे